मुझे बचपन से ही साहित्य और काव्यलेखनमे रुचि थी पर मै कुछ दिनों तक स्टेट बैंक मे कार्यरत होने की वजह से और बच्चे छोटे थे इसलिये समय कम मिला इसलिये मैने अपना ये छंद ऐच्छिक सेवानिवृती के बाद फिरसे शुरु किया।
मेरी कविताये मुख्यत: निसर्ग के उपर, देशभक्तिपर,या कोई ज्वलंत समस्याओंपर होती है । निसर्ग हमे बहोत कुछ सिखाता है वो हमारा एक अध्यापक ही है। इस बुकमे सुरों की मलिका भारतरत्न, गानसरस्वती लतादीदी को श्रध्दांजली, निर्भया,अखंड भारत( ३७० कलम हटने के बाद की हुई कविता) स्वर्णिम पल ( जब रामजन्मभूमी का पूजन हुआ) देश के सपूत , युगपुरुष ( नरेंद्र मोदीजी) , वीरांजली ( जब मेजर जनरल बिपिन रावत , उनकी पत्नी,और १२ आर्मी आँफीसर्स का चाँपर क्रँश मे निधन हुआ) पंचकन्याये जैसी भावविभोर कर देनेवाली कविताये है।
इसमे कुछ हास्यव्यंग कविताये भी है । वाचक जन, आपकी प्रेरणा से ये मेरा लिखने का सफर आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। आपके हौसलों से ही मुझे आगे बढ़ने की स्फुर्ति मिलेगी।
पुस्तकस्था तु या विद्या,परहस्तगतं च धनम्।
कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम्।।