प्रिय पाठकों, साहित्य कारो आप सभी को कवयित्री चन्द्रकला भागीरथी का सादर प्रणाम, अब मैं अपना अगला संस्करण आलेख संग्रह लेकर आई हूँ जिसमें आपको लघुकथा भी पढने को मिलेगी। आप आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहीं हूँ (कलयुग का जीवन) इस पुस्तक का नाम है। हमारे इस कलयुग के जीवन में आपाधापी और आगे भागने की होड़ लगी रहती है। इस युग में अनेक घटनायें घट चुकी है और घटती रहेगी। वे चाहे समाज की विकृति हो, आपदाये हो, महामारी हो, युद्ध हो, राजनीतिक प्रत्यारोप हो, अत्याचार हो, कुरीतियां हो, या और भी अन्य घटनायें ये जो देश समाज में घटती रहतीं है। ये मेरे ह्रदय पर आघात करती हैं और मै उन से उठे भावों - विचारों को अपनी कलम के माध्यम से संजोकर रखती हूँ। और इस कलम की आत्मशक्ति से, ईश्वर की कृपा से मै आप सभी के समक्ष रूबरू होती हूँ। आप से अपने विचारों को सांझा करतीं हूँ। आशा करती हूँ कि आप मेरे विचारों को पसंद करेगें और मुझे आशीर्वाद देगें। ताकि मुझे आगे बढने की प्रेरणा मिले
मै एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ एक जिज्ञासा मेरे मन में हमेशा रहती है कुछ नया सीखने की, मै एक छात्रा के रूप में रह कर प्रकृति से कुछ न कुछ सीखती रहती हूँ। आप सभी का प्यार और स्नेह मेरे आत्मविश्वास को बढ़ायेगा।।