कोरिया के वैज्ञानिक ने इस रोबोट के हाथ , पैर , सिर और आँखों मे एक अनोखी लेजर गन फिक्स कर दी थी | जिसका रिमोट तानाशाह के पास था | रोबोट मे चारों ओर कैमरे जैसी आँखें लगी थी जो सेटलाइट की जीपीएस प्रणाली से लैस थी | और आस पास का सारा नजारा कंट्रोल रूम मे दिखाती रहती थी | रिमोट से ट्रिगर दबाते ही लेजर गन से निकलने वाली खतरनाक किरणें सामने पड़ने वाली किसी भी वस्तु को नष्ट कर देती थी | लोहे की मोटी चादरों से बने मजबूत टैंक , मिश्रित धातुओं से बने लड़ाकू विमान , विशालकाय इमारतें ,पहाड़ की चट्टानें सब कुछ पल भर मे खाक हो जाते थे | इस लेजर गन से निकली किरणे यदि खाली जमीन पर भी पड़ जाती तो वहाँ की मिट्टी मे सैकड़ों फुट गहरा गड्ढा हो जाता था |
बड़े बड़े देशों की सेनाएँ उसके आगे नत मस्तक हो गई थी | सैकड़ों देशों ने आत्मसमर्पण कर दिया था | बचे हुए देशों के वैज्ञानिक लेजर मैन की काट ढूँढने मे जुटे थे | लेकिन घबराहट मे उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था | क्या करे ? कैसे मुक़ाबला किया जाए ? सब इसी दुश्चिंता मे परेशान थे | खतरा रूस और चीन से आगे बढ़ते हुए भारत तक पहुँचने की संभावना थी | भारत की सेनाएँ और खुफिया एजेंसियां बेचैन हो रही थी | बैठक पर बैठक किए जा रही थी | लेकिन कुछ ठोस नतीजा नहीं निकल पा रहा था | सावधानी के नाते पूरे देश मे रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका था | सेनाएँ और कमांडों मुस्तैद थे | वे डरे हुए तो नहीं थे लेकिन उन्हे यह अवश्य पता था कि इस प्रकार लेजर मैन से पार पाना संभव नहीं है | प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों से इसका जल्द से जल्द तोड़ निकालने की अपील की थी | देश की प्रतिष्ठा के साथ – साथ उसकी संप्रभुता भी दांव पर लगी थी |
देश के महान वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम के नाम से बने बाल वैज्ञानिक शोध संस्थान के छात्र भी लेजर मैन के आतंक से अनभिज्ञ नहीं थे | इस संस्थान मे देश के चुने हुए उच्च प्रतिभा वाले बाल वैज्ञानिक पढ़ते थे , जो नए - नए शोधों को लेकर बेहद उत्साहित रहते थे | आज लेजर मैन के आतंक को लेकर इनकी भी एक बैठक चल रही थी , जिसमे विभिन्न विकल्पों पर विचार विमर्श हो रहा था | वरिष्ठ छात्र हिमांशु ने सलाह देते हुए कहा – “हमे विशेष हेलीकाप्टरों से लेजर मैन पर टनों पानी उड़ेल देना चाहिए ताकि उसके शरीर के तारों मे सर्किट शार्ट हो जायें और यह रोबो मशीन बर्स्ट हो जाए या फिर काम ही न कर पाये |”