Tumhare Baare Mein

Tumhare Baare Mein
मैं उस आदमी से दूर भागना चाह रहा था जो लिखता था। बहुत सोच-विचार के बाद एक दिन मैंने उस आदमी को विदा कहा जिसकी आवाज़ मुझे ख़ालीपन में ख़ाली नहीं रहने दे रही थी। मैंने लिखना बंद कर दिया। क़रीब तीन साल कुछ नहीं लिखा। इस बीच यात्राओं में वह आदमी कभी-कभी मेरे बग़ल में आकर बैठ जाता। मैं उसे अनदेखा करके वहाँ से चल देता। कभी लंबी यात्राओं में उसकी आहट मुझे आती रही, पर मैं ज़िद में था कि मैं इस झूठ से...More

Discover

You may also like...

Kavyaspandan

Poetry Marathi

Abhangwani Tejomay Deepstambh

Mythology Poetry Marathi

udaas nahi hua tha ghar

Family Poetry Hindi

Chimb bhijtana

Poetry Marathi

vishrunkhala

Family Poetry Hindi