hum aazad hun

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इस  व्यंग्य संग्रह के लेखक श्री दीपक कर्पे और मैं एक ही बैंक यानी बैंक ऑफ महाराष्ट्र में साथ कार्य कर चुके हैं।बैंक की गृह पत्रिका में साथ ही लेखन भी किया है ।इसी नाते उन्होंने अपने इस प्रथम प्रकाशित होने वाले संग्रह की कुछ रचनायें समीक्षा के बतौर विचार व्यक्त करने के उद्देश्य से प्रेषित की थी। आसपास के माहौल से छोटी छोटी बातों से उठाए गए उनके व्यंग्य दिल को छूते हैं। साथ ही हास्य...More

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