पिता ने करवट बदली. एक लंबी सांस ली. फिर कुर्सी पर बैठे हुए अनिल से बोले,'' तुम दोनों तो बहुत अच्छे दोस्त हो ?'' ''जी अंकल!'' अनिल ने चाय की चुस्की लेते हुए पूछा, '' आप कहना क्या चाहते हैं ?'' कब से उन्हें अपनी ओर निहारते हुए अनिल देख रहा था. उन की मूक आंखें बहुत कुछ कहना चाहती थी. मगर, वे रमन के डर से बोल नहीं पा रहे थे. जब अनिल ने रमन को काम में व्यस्त देखा तो पूछा लिया. '' अपने दोस्त को समझाओं. कब तक अपनी बीवी को नहीं लाएगा ?'' किसनलाल ने मुरझाई हुई आंखों से कहा, '' मैं कब तक जिंदा रहने वाला हूं. चाहता हूं कि रमन और उस की बीवी का घर बस जाए.'' अनिल के लिए यह अप्रत्याशित था. उसे यह पता नहीं था रमन अपनी बीवी को क्यों नहीं लाना चाहता है ? रमन ने उसे इस बारे में कभी नहीं बताया था. शायद, वह घर की बात उसे बताना नहीं चाहता था. या ओर कोई विशेष कारण रहा होगा. इस कारण से अनिल को जिज्ञासा हुई. क्या कारण हो सकता है ? '' क्या हुआ था अंकलजी. दोनों के बीच झगड़ा हुआ था क्या ?'' उस ने कनखियों से कमरे की ओर देखा. रमन इस वक्त कंप्युटर पर काम कर रहा था. उस का ध्यान उसी में लगा हुआ था. जब से कोरोना वायरस का प्रकोप चला है उस का अधिकांश काम कंप्युटर से ही हो रहा था. इसलिए वह अपने काम में व्यस्त था. किसनलाल ने कमरे की ओर निगाहें कर के धीरे से कहा,'' इन के बीच कुछ मामला हुआ था ? क्या था ? मुझे पता नहीं है. मगर, इस की बीवी इस से नाराज हो कर चली गई थी.'' '' आप को नहीं बताया रमन ने ?''