दो शब्द: ललित कुमार
ऋचा की ये कविताएँ विविध प्रकार की हैं – उनके “दिल के कमरे” के किसी कोने में बीते समय की यादें रह रही हैं तो किसी में आने वाले समय को लेकर देखे जा रहे स्वप्न पल रहे हैं। अपने मन के हर भाव को ऋचा ने बहुत सरल और हृदयग्राही तरीके से कविताओं का जामा पहनाया है। इन सीधी-सरल कविताओं को पढ़कर लगता है कि काव्य में अभिव्यक्ति ऋचा के लिए स्वाभाविक है। कविता में बनावट नहीं हो तभी वह पाठक को अपनी-सी लगती है। ऋचा की ये कविताएँ सभी को अपनी-सी लगेंगी।
ललित कुमार