wo manjil abhi nahi aayi

wo manjil abhi nahi aayi
ग़ज़ल ने अपना सफ़र अरबी भाषा में आरम्भ किया। फारसी शायरी के माध्यम से इसने हिन्दोस्तान में बारहवीं शताब्दी के आसपास मुगल साम्राज्य की स्थापना के पश्चात् अपने पांव रखे। लेकिन ग़ज़ल से पहले हमारे यहाँ संस्कृत भाषा में अनेक ऐसे ग्रंथ रचित मिलते हैं जिनमें दो-दो पंक्तियों पर आधारित श्लोक अथवा शेयर मिल जायेंगे जिनमें ग़ज़ल के अश्यारों जैसी संक्षिप्ता, सहजता, सभ्यता, रवानी, विषय तत्व, लय एवं...More

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