कविता में शब्द और अर्थ के बारे में अब काव्य रसिकों में कोई विवाद शेष नहीं रहा है। नई कविता ने चिंतन के धरातल पर
काव्य लेखन को नयी प्रवृत्तियों और वैचारिक सरोकारों की ओर उन्मुख किया और कविता में भाव विचार के नये प्रसंगों के समावेश से हिंदी में कविता नये रूपरंग,आकार, भावभंगिमा के अलावा अपने शिल्प और कथ्य में नवीनता को अंगीकार करती दिखाई देती है। प्रगतिशील काव्यधारा के कवियों ने जीवन के समस्त सुंदर सार्थक भावों को कविता के प्रतिपाद्य में स्थान प्रदान किया। इस प्रसंग में आठवें दशक के
कुछ कवियों की खूब चर्चा होती है .इस काल के कवियों की जीवन संवेदना का गहरा प्रभाव वर्तमान दौर के कवियों की कविताओं पर देखा जा सकता है कविता में जीवन के सहज सुख-दुख की बातों का बयान इस युग के कवियों की प्रमुख विशेषता है!
कविता मन के सरल-जटिल द्वंद्वों के बीच से जब अपनी अभिव्यक्ति का रास्ता तय करती है तो उसे अनेकानेक संकटों का सामना करना पड़ता है। आज की कविता की रचना प्रक्रिया के बारे में यह सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। तुलसीदास ने कविता को जीवन के व्यापक उपादान के रूप में प्रस्तुत किया और इस तथ्य के सार के रूप में हिंदी कविता वर्तमान में भी नानाविध रूपों में जीवन की अभिव्यंजना में संलग्न है। तुलसीदास हिंदी कविता के पितामह कहे जा सकते हैं।