मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये कविताएँ साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती हैं। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृतियों में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै-शनै चलते रहने का विश्वास न खोएगा ! "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ'' को मेरे दादा स्वर्गीय शिवचन्द्र प्रसाद एव दादी स्वर्गीय कौशल्या देवी के यादों मे अर्पित करता हूँ एव मेरे पिता श्री भीष्म प्रसाद एव माताजी श्रीमती बिन्दा देवी के चरणों में समर्पित करता हूँ जिन्होंने अपना प्यार, दुलार, स्नेह व आशीर्वाद देकर मुझे साहित्य की ओर अग्रसर होने के योग्य बनाया। मैं उन लोगों का भी आभारी हूँ जिन्होंने मेरी छोटी-छोटी रचनाओं पर मुझे सम्मानित किया। "राष्ट्रीय राजभाषा पीठ" इलाहाबाद के अध्यक्ष महोदय डॉक्टर संतकुमार टंडन "रसिक" जी का मैं आभारी हूँ जिन्होंने मुझे मेरी पहली रचनाओं पर मुझे सम्मानित किया। मै आभारी हू "ऑल इंडिया हिंदी उर्दु एकता ट्रस्ट(रजिं)" संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरीद अहमद साहब एव राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉक्टर कृष्णा शर्मा दामिनि जी का जिन्होने मेरी रचनाओं को ऑनलाइन कवि सम्मेलन मे मेरा उत्साहवर्धन किये साथ मे "राष्ट्रीय सखी साहित्य संस्था" असम की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर दीपिका सुतोदीया"सखी" दीदी ने मुझे बहन जैसा प्यार देकर मेरी साहित्यिक दुनिया मे चार चांद लगा दी !