maut ka jaal

maut ka jaal
वांग ली का एक और ज़बरदस्त क़हक़हा–“अभी भी उसी ग़लतफ़हमी में जी रही हो कि पकड़े जाने के बावजूद सोलंकी को बचाकर यहां से निकल जाओगी....ग्रेट...! वाकई बहादुर हो। कुछ कर सको या न कर सको लेकिन कुछ करने की ख़्वाहिशमंद तो हो ही। मानना पड़ेगा, तुम इण्डियन्स में जज़्बा ग़ज़ब का होता है। प्रशंसा के योग्य। सरेण्डर कर चुकी हो मगर जोश से लबरेज़ हो। मौत सर पर नाच रही है –अगले पल की ख़बर नहीं मगर झुकने को तैयार...More

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