कविता-कानन का यह सुगंधित वार्षिक
विशेषांक आप सभी के करकमलों में
विराजमान है। इस विशेषांक की विशेषता यह
है कि यह साहित्य जगत के प्रतिष्ठित से
नवोदित कविगणों द्वारा सृजित काव्य के अनेक
रंग से रंगा हुआ है। सभी रचनाओ को एक
साथ संग्रहित कर वार्षिकांक विशेष पुस्तक का
रूप देनेका पूर्णश्रेय कविता-कानन के प्रधान
संपादक आ.धन्नजय कु मार 'सुमन' जी को
जाता है। जो स्वयं एक प्रबुद्ध साहित्यकार, गीतकार, नाटककार एवं
नाट्यकलाकार हैं। सुमन जी का साहित्य के प्रति अगाध स्नेह और लगाव ही है
जिसने इन्हेंकविता-कानन पत्रिका एवं कविता-कानन साहित्यिक मंच को
प्रत्यक्ष स्वरूप प्रदान करनेको प्रेरित किया परिणामस्वरूप आज साहित्य जगत
मेंकविता-कानन एक प्रतिष्ठित नाम है। सुमन जी जैसेअद्वितीय व्यक्तित्व के
अथक परिश्रम का पुरस्कार है "कविता-कानन वार्षिकांक"। तिषता प्रकाशन से
प्रकाशित कविता-कानन एक प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध मासिक पत्रिका हैजिसमें
हिंदी के सम्पूर्णविधाओ ं के वरिष्ठ सेलेकर नवोदित सभी लेखकों की रचना
कृतियों सम्मानित स्थान प्राप्त होता है। उसी कड़ी मेंयह सुंदर वार्षिकांक सोने
पर सुहागा है।
मैंअपनेभाव प्रेषण को यही रोकतेहुए आप सभी सम्मानित पाठकों
से विनीत निवेदन करती हूँ कि आप कविता-कानन वार्षिकांक को अपना
बहुमूल्य आशीष और स्नेह प्रदान करेंएवं कविता-कानन पत्रिका पर विश्वास
बनाए रखनेके साथ पूर्णसहयोग करें।