मैं और मेरा एकांत' कुमार धनंजय सुमन द्वारा लिखित कहानीसंग्रह है। इस संग्रह के बारे में विस्तार से चर्चा करें उससे पहले आप को संग्रह के नाम से ही लेखक और रचना की प्रकृति समझ आ गई होगी। धनंजय जी जमीन से जुड़े, यथार्थ में रचे बसे लेखक हैं ।इनकी सभी कहानियां काल्पनिक नहीं वरन जीवन यात्रा में शामिल एक -एक पड़ाव हैं । जिया और भोगा हुआ यथार्थ।
आपकी रचनाओँ में कड़वे यथार्थ के साथ जीवन के प्रति बहुत सकारात्मक दृष्टिकोण है। 'काश मैं' कहानी को पढ़ते हुए तत्कालीन समाज का नितांत आत्मीय रूप हमारी आँखों के सामने उपस्थित हो जाता है।
धनंजय जी ग्रामीण जनजीवन के यथार्थ के कथाकार है। आपकी आत्मा गाँवों में बसती है क्योंकि वे गाँव के हर एक पक्ष को चाहे वह गरीब किसान हो मजदूर हो या फिर कोई राजनीतिक भूमिका निभाने वाला पात्र या उसके अन्दर की भावनाएँ कि वह दूसरे के प्रति क्या दृश्टिकोण रखता है, सबका पूर्ण रूप प्रस्तुत करते हुए ग्रामीण समाज के यथार्थ की ओर संकेत करते है। आप अपनी यात्राओं में समाज के कोने-कोने में झाँककर वहाँ के यथार्थोन्मुख दशा व दिशा को अपनी लेखनी के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है।
धनंजय जी जीवन के हर पड़ाव को, हर बात को बेहद संभाल कर रखते हैं और लिखते हैं दिल से।
आपकी कहानी 'बेटी का बाप हूं तो क्या' मर्म को छूते हुए ... वर्तमान, अतीत और भविष्य हर समय में वर्तमान रहने वाली पिता की पीड़ा को बखूबी वयां किया है आपने...कितनी संवेदना से आप चीजों को महसूस करते हैं उतने ही खूबसूरती से लिखते भी हैं....इस लेख के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास।
आपकी कहानी 'मेरा एकांत प्रेम' बहुत अच्छा लिखें है.... हृदय को छूता हुआ .... अंत में बचता ही क्या है अंत में बचता है अपने अंदर का बीहड़ एकान्त ......एक तड़प ....कुछ ऐसा जिसे शब्दो में कहना सम्भव नहीं.... आप साहित्य और संगीत की आत्मा को जीने वाले साहित्यकार हैं...इतना ईमानदार लेखन पढ़ने को मिला इस भौतिकता के दौर में....दिल को छू लिया ।जितनी सच्ची कहानी उतना ही सच्चा लेखन आपका।
आपकी कहानियों में परिवेश में विद्यमान विविध प्रकार की विषमताओं, विडंबनाओ, अंधविश्वास, रूढ़िवादी रीति रिवाजों, कुरीतियों आदि का यथार्थ वर्णन है। आपकी कहानियों के कथानक सीधे जीवन से संबंध रखते हैं।