बस घिसट-घिसट कर चल रहा है l हालात बदतर और खराब होते जा रहे हैं l "ओह... बिजली को भी अभी जाना था l क्या यार मूड खराब हो दिया l" "क्या सडी़ गर्मी पड़ रही है,हालत खराब हो गई है l" "सर्दी ने तो जीवन अस्त-व्यस्त कर रखा है l" "हर तरफ बरसात की वजह से कीचड़ ही कीचड़ फैला हैं l" रोजमर्रा की बोलचाल में इस प्रकार के वाक्यों का प्रयोग करके हम क्या प्राप्त कर रहे हैं l यह सब तो प्राकृतिक रूप से हमारे मुँह से निकलता ही है l किंतु हम थोड़ा-सा प्रयास करके कुछ ऐसा बोल सकते हैं जो हमें और हमारे आस-पास के वातावरण को सुख प्रदान करने वाला हो,जैसे कि- "हालात ज्यादा अच्छे तो नहीं हैं लेकिन अच्छे बनाने के प्रयास जारी हैं,जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा l" देखो आकाश में फैला बादलों का झुंड कितना अच्छा लग रहा है l" "सूर्यास्त का दृश्य कितना सुंदर लग रहा है l" विश्वास है कि यह लेख "सकारात्मक विचारों का मानव जीवन पर प्रभाव" में सहायक होगा l "मानवी व्यक्तित्व एक प्रकार का उद्यान है,उसके साथ अनेक आत्मिक एवम् भौतिक विशेषताएं जुड़ी हैं,पर उनका लाभ मिलता तभी है,जब उसे ठीक से साधा और संभाला जाए l" - पं.श्री राम शर्मा आचार्य हमारे व्यवहार में जो कुछ है,वह हमारे विचारों की ही देन है l अच्छे विचार ही अच्छे आचरण के रूप में प्रकट होकर हमारी आदत बन जाते हैं l अच्छी-अच्छी आदतों से मिलकर ही हमारा चरित्र बनता है l हमारा चरित्र ही हमारा व्यक्तित्व है l वही हमारी पहचान भी है l कुल मिलाकर कोई भी व्यक्ति अपने व्यवहार से ही जाना जाता है l सकारात्मक विचारों के प्रभाव के कारण ही हमारे कार्य और व्यवहार में हमारे भीतर संजोए गए सद्गुण ही प्रगटित होते हैं, इसलिए हमेशा सकारात्मक विचारों के प्रति सजग और सावधान रहना चाहिए,जिनके प्रभावस्वरूप हम अपने और अपने आसपास के जीवन को सुंदर और श्रेष्ठ बना सकते हैं l कुछ लोग चीजों के सकारात्मक पक्ष की ओर देखते हैं,ऐसे लोगों को 'सकारात्मक दृष्टिकोण' वाला व्यक्ति कहा जा सकता है l हमारे जो भी विचार होते हैं,वह हमारी बातचीत द्वारा परिलक्षित होते हैं,सामने आते हैं,जैसे हमारे विचार हो तो,है उसी प्रकार के वचन बोलेंगे l इसी प्रकार जैसे वचन हम बोलेंगे,उन्हें सबसे पहले सुनने वाले हम स्वयं होंगे और उनसे सबसे पहले हम स्वयं प्रभावित होंगे l