कविता लेखन की शुरुआत तब हुई जब ऐसा लगा कि जीवन की कई अनुभूतियां मन को संवेदना के रंगों से कुछ अलग अंदाज में भरती जा रही हैं और आज जिंदगी के खालीपन को पाटने के सबसे सार्थक उपक्रम के रूप में कविता निरन्तर अपनी आहट से
हमारे जीवन में प्राणों का संचार करती है.
बरसात का मौसम हो और शीत ऋतु के आने की आहट क्वार के
बाद शुरू हो गयी हो , हमारे जीवन वसंत में कविता ग्रीष्म के
बियाबान में बारिश के फूल खिलाती है और नदी की तरह से
बलखाती चली जाती है और सागरतट पर रोज बुलाती है!