आचार्य श्री नित्यानन्द बाजपेयी ‘उपमन्यु' जी द्वारा रचित गीत संग्रह ‘गीतों की वसुधा’ पुस्तक की पीडिएफ का विहंगमावलोकन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।यह आचार्य श्री की मुझ पर अहैतुकी कृपा ही है, जो मुझ अकिञ्चन को इस पुस्तक ‘गीतों की वसुधा' की भूमिका लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मैं तो एक-एक गीत को पढ़कर विस्मय विमुग्ध हो उठा।आचार्य श्री के ‛गीतों की वसुधा' में विविध छंदाधारित गीत हैं। सभी गीतों में सहज सम्मोहन है,जो पाठक के मन को अनायास आकर्षित करने की क्षमता रखता है। इन गीतों के अंतर्गत विषय वैविध्य भी है। कहीं वंदना के विनम्र स्वर हैं तो वहीं दूसरी ओर समाज की पीड़ा का चित्रण है।युग-बोध के स्वर यत्र-तत्र सर्वत्र दीखते हैं।कभी सनातन संस्कृति के अवमूल्यन पर चिन्ता तो कभी भारतीय गौरव की अस्मिता पर कवि के भावुक स्वर अभिव्यक्ति पाते हैं।कहीं प्रकृति के सौंदर्य का चित्रण तो कहीं मानवीयता और चारित्रिक ह्रास पर स्फुट स्वर सुनाई पड़ते हैं।कहीं हमारे क्रांतिकारियों की वीरगाथा का चित्रण है तो वहीं हमारे किसानों और नौजवानों के लिए भी कवि के गीतो में स्वर व्यक्त हुए हैं ।