वह पत्नी नहीं चाहते
वह तो चाहते है दरी;
जिस पर वह चल सके-
जिससे, तीक्ष्ण नुकिले पथ्थर या काँटे
उनको चुभे नहीं और उनके पाँव न हो मटियल ।
उनकी इच्छानुसार मैं बदल जाऊँ ऐसी
जादुई दरी में!
जिससे वो चाहे तब उन्हें मनभावन भोजन मिले,
उनका दिल बहलाने को जाम लिए खड़ी रहुं
रूपसुन्दरी बनके!