मानव जीवन में प्रेम की पवित्रता का सर्वोच्च एव विशिष्ट है। प्रेम को जीवन का सार माना गया है। यहाँ तक कि ईश्वर की प्राप्ति का भी यह सर्वोत्तम साधन है। प्रेम के बिना जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं। सुमंगला 'सुमन' की यह उत्कृष्ट रचना "सुर्ख़ है गुलाब" वियोग श्रृंगार की अनूठीअनुभूति प्रस्तुत करती है। यह पाठकों को असीम गहराइयों तक ले जाती है। प्रेम में वियोगावस्था की पीड़ा को मार्मिक ढँग से चित्रित करके सुमंगला जी ने संवेदनाओ के अनुपम दृश्यों का संयोजन किया है। उनका यह सार्थक प्रयास 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' की अनुभूति कराता है। प्राचीन काल से गुलाब को प्रेम का प्रतीक माना जाता रहा है। इस रचना का नामकरण "सुर्ख़ हैगुलाब" बरबस ऐसा ही संदेश देता है।