प्रस्तुत पुस्तक यामा में महादेवी की काव्य यात्रा के चार आयाम संगृहीत हैं, नीहार, रशिम, नीरजा तथा सांध्यगीत जो भाव और चिंतन जगत की क्रमबद्धता के कारण महत्त्पूर्ण हैं! प्रत्येक आयाम में नवीनता तथा विशिष्टता का परिचय दिया गया है फिर भी अपेक्षाकृत मानवीकरण एवं प्रतेकत्मकता पर बल दिया गया है!
प्रस्तुत पुस्तक यामा में महादेवी की काव्य यात्रा के चार आयाम संगृहीत हैं, नीहार, रशिम, नीरजा तथा सांध्यगीत जो भाव और चिंतन जगत की क्रमबद्धता के कारण महत्त्पूर्ण हैं! प्रत्येक आयाम में नवीनता तथा विशिष्टता का परिचय दिया गया है फिर भी अपेक्षाकृत मानवीकरण एवं प्रतेकत्मकता पर बल दिया गया है!