खिड़की के उस पार “आपने क्या देखा ?....मैंने देखा है एक मुस्कुराती जिंदगी जो उस पार हमसे आँख मिचौली करती है।
हमारी जिंदगी तो उधर ही है, इस पार हम उसे पाने की जद्दोजहद करते रहते हैं।
कितना बंद कर लिया है हमने खुद को ,अपने ही अंदर। हम उस चीज को देखना ही बंद कर दिए हैं, जिससे हमें जिंदगी को ऐसे देखने की जरूरत नहीं पड़ती।
हमारे अंदर कितनी नकारात्मकता है।
एक एक कविताओं का ही नहीं एक एक अनुभव की श्रृंखला है ।
उस हार जीत की कशमकश है जिससे हम अक्सर उलझे होते हैं।.. हैं ना!
मुझे समझ आया .. इस उलझन को कितना सरल तरीके से सुलझा सकते हैं हम.. हमने व्यर्थ ही कष्ट पहुँचाया खुद को, ज़िंदगी इतनी भी कठिन नहीं है ।
आपको मालूम है ..एक कवि या लेखक केवल कविता या कहानी ही नहीं लिखता । वह लिखता है दुनिया का दर्पण.... जिसमें लोग देख सके कि वास्तव में इस दुनियाँकी हकीकत क्या है?
मैंने बहुत ही कवियों को पढ़ा है ,सच में कितने सुंदर हैं वह लोग जिसने इस दुनिया को इतनी सुंदरता प्रदान की।
मैंने तो कोशिश ही की हैं महज.... जिस तरह से देखा, विचार किया, शब्दों में पिरो दिया उसे ।मैंने लिखा प्रेम को, जीवन को और खुद को भी ।
बहुत कठिन होता है ना अपने हाथ से खुद को ही लिखना।
बस आप को हमें ही पढ़ना है ..... यकीन मानिए बहुत सरल हैं हम जल्दी समझ आ जाएंगे।