हमारे देश में महामारी फैल रही थी। माननीय पी. एम. श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया। सभी ऑफिस, स्कूल, दुकानें व परिवहन माध्यम बंद हो गए। शुरूआती आठ दस दिन अच्छे गुजरे, पर दिन भर घर में समय व्यतीत करना मुश्किल होने लगा। मेरी नन्ही भतीजी मुझसे कहानी सुनाने की जिद करती, तो सोचा चलो बैठे बैठे रोज एक कहानी लिखी जाए और वही कहानी भतीजी को सुनाती। लॉकडाउन धीरे धीरे बढता गया व मेरी कहानियों का संग्रह भी बढता गया। इस प्रकार मैने 365 दिन में 365 कहानियां लिख डाली। इसमें मैने अपने जीवन में सुनी, पढी व कुछ स्वरचित कहानियों का समावेश किया। मैं यह संग्रह कर पाई इसके पीछे प्रभुकृपा, मेरे दिवंगत दादा, दादी व पिताजी का आर्शीवाद साथ ही मेरी माताजी का आर्शीवाद व सहयोग मिला। इन कहानियों को कागज से संगणक पर लाने में मेरी भाभी व भाई का अप्रतिम सहयोग रहा। मेरे भाई की मदद से ही मैं इन कहानियों को संगणक पर सबके पढने योग्य बना पाई। सौ. शोभा बापटे ने मुझे सौ. प्रगति दाभोळकर से अवगत कराया। इनकी मदद से ही मेरी कहानियों को एक प्लेटफॉर्म मिला तथा वे शॉपिजन वेबसाइट पर सबके पढने योग्य हो पाई। मैं आप सभी की आभारी हूं। मुझे विश्वास है कि पाठको को मेरी कहानियां पसंद आएगी।