इस दूसरे भाग में हमने 28 कथाकारों की कहानी को सम्मिलित किया है। सभी कहानियां एक से बढ़कर एक उम्दा और उद्देश्यपूर्ण है।
शोभना मित्तल 'श्याम' की कहानी होशियारी में पात्र की होशियरि का निराकरण उसकी बुआ बड़ी होशियारी से करती हैं। वही शराफत अली खान की कहानी- मम्मी झूठ नहीं बोलती, बखूबी अपने शीर्षक को सार्थक करती हुई अपने उद्देश्य को बताती है।
सुरेंद्र कुमार अरोड़ा की कहानी-शेर बच्चा, की आदत का परिष्कार बहुत ही बेहतर ढंग से करती है। वही सुधा भार्गव आंकछु-आंकछी के द्वारा स्वस्थ आदत विकसित करने में कामयाब रही है।
विनीता राहुरिकार की कहानी- अनुशासन का महत्व, बताने में कामयाब रही है। वहीं विकास नैनवाल- इशिता की सूझबूझ, को नए अंदाज में प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं।
ललित शौर्य ने- मंगलवन में अमंगल, को अपने ढंग से हल किया है। वहीं मीरा जैन- श्रेष्ठता, के मापदंड को मूल प्रवृत्ति से समझाने में सफल रही है।
मिनी मिश्रा की 'नई सुबह', मालती बसंत की 'दोस्ती', मधुलिका श्रीवास्तव की 'लैपटॉप', डॉक्टर प्रदुम्न भल्ला की 'पहाड़ का बेटा', नीलम राकेश की 'मछली जल की रानी', नीना सिंह सोलंकी की 'बच्चों की किटी पार्टी', अपने शीर्षक को सार्थक करते हुए अपने उद्देश्य अनुसार कहानी कहने में सफल रही है।