सभी जानते हैं कि गुलदस्ता के मायने क्या होते हैं। जिसमें सभी तरह के ताजा फूल महकते रहते हों। इसी तथ्य को सार्थक करती मेरी पुस्तक का नाम गुलदस्ता है। इसमें गीत भी हैं, गजलें भी हैं,दोहे भी हैं। आज हिंदी साहित्य की यही तीनों विधाएं लोकप्रिय है। मैंने गीत, ग़ज़ल दोहे सहज सरल भाषा का सहारा लेकर सामाजिक रिश्ते, वर्तमान हालात को दर्पण दिखाते, संचित ज्ञान राशि के कोष को समेटे, इंसान के अहसास को जगाते,समाज में चेतना का संचार करती, समाज की कुव्यवस्था को इंगित करती, निर्मल निष्छल सोच से प्रेरित,गीत ग़ज़ल दोहे लिखे हैं। आज लोगों की जुबान पर वही कवि और शायर मिलते हैं जिन्होंने सहज सरल भाषा में सार्थक सारगर्भित लिखा है। जैसे हम महान तुलसी कबीर सूर गालिब, निराला, मैथिली शरण गुप्त,नीरज जी इनकी सहज सरल भाषा की रचनाएं ही आज भी लोगों को याद हैं।