यह पुस्तक नई आशाओ नई उम्मीदो को भोर काल से ही समस्त प्राणियों को स्फूर्तिवान बनाने का एक प्रयास हैं. इसमें उपलब्ध हर रचना अपने आप मे ऊर्जा का स्रोत्र हैं. यह काव्य संग्रह सूर्य भगवान के आगमन पर उनका अभिनन्दन भी है. इसे लिखने की प्रेरणा मेरे पिताजी श्रीमान बाल मुकुन्द शुक्ला जी का यह कथन है कि “हार नहीं मानना है तुम सब कर सकती हो कमी का अर्थ नवीन उपलब्धि का मार्ग है”. यह काव्य संग्रह जो कुछ सुप्रभात के मुक्तक से भरा हुआ है मै इसे अपनी माता श्रीमती शोभा शुक्लाजी और पिताजी श्रीमान बाल मुकुन्द शुक्ला जी एवं ईश्वर के चरणों में समर्पित करती हूँ