लाश का चेहरा बुरी तरह बिगड़ा हुआ था ।ऐसा कि पहचान में नहीं आ रहा था और ऊपर से ताजे खून से तरबतर था। वह किसी 27,28 वर्ष के डोले शोले वाले युवक की लाश थी जो रेलवे ट्रैक के पास औंधे मुंह पड़ी थी। हालांकि देखने पर चेहरा बिल्कुल दिख नहीं रहा था।पर वहां जमा भीड़ में सबको इतना तो पता ही चल रहा था कि उसके चेहरे की दुर्गति हो चुकी है। लाश के आसपास रेलवे ट्रैक की गिट्टी के ऊपर भी ताजे खून के निशान थे।उस लाश को जिन लोगों ने घेर रखा था वह तरह-तरह की बातें कर रहे थे। उन लोगों की बातों से यह मालूम पड़ रहा था कि अभी कुछ देर पहले ही निकली ट्रेन से वह युवक नीचे गिरा था और उसका इतना बुरा हाल हो गया था कि तुरंत लाश में तब्दील हो गया था । वह ट्रेन से नीचे गिरा कैसे इस बारे में कोई कुछ नहीं बोल रहा था। सब अपने-अपने कयास लगाए जा रहे थे। कोई कह रहा था की पैर फिसल गया होगा। कोई कह रहा था कि हो सकता है सेल्फी लेने के चक्कर में गिर गया हो। आजकल सेल्फी लेने में कितने ही हादसे अक्सर सुनने को मिलते रहते हैं। कोई कह रहा था कि हो सकता है किसीने भीतर से इसे धक्का दिया हो। पर इतने मजबूत कद काठी के व्यक्ति को आखिर धक्का कौन देगा। हो सकता है दरवाजे पर खड़ा बाहर का नजारा कर रहा हो तब किसी से धक्का लग गया हो और अचानक में नीचे गिरा हो किसी ने दिमाग लगाया।