वास्तविकता पूर्व के साहित्यकारों से कुछ ज्यादा भिन्न नहीं है । परिवार में मैं पहला व्यक्ति हूँ जो साहित्य की ओर बढ़ने की महत्वाकांक्षा रखता हूँ । रोजमर्रा की जिंदगी एक मध्यम वर्गीय परिवार की जो पहचान है बस वही पहचान मेरी भी है । रोजीरोटी की जद्दोजहद भी उतनी ही है । खेती-बारी से पूरा परिवार जुड़ा है । पिताजी जेल प्रशासन में थे पर उनके सेवानिवृत्ति के बाद ग्रामीण जीवन ही जीने का मूल आधार बन गया है । शिक्षा स्नातक की पूरी की फिर नौकरी की तलाश की अंत में मन की बेचैनी को गांव की प्रकृति शांति दे रही है ।