दो पुस्तके पब्लिश हो जाने के बाद अब यह तीसरी किताब भी जल्द ही प्रकाशित होकर पाठकों के हाथो में होगी। जब यह किताब लिखी जा रही थी तो मन में संशय भी अपना सिर उठा रहा था कि कोई इसे पढेगा भी या नहीं। पाठको की उम्मीदों पर खरी उतरेगी या नहीं।
इसके कुछ कारण है। सबसे पहला यह कि दुनिया जीवित है, सांस लेती है, चीजे बदलती है, नदी बहती है, पेड़ पौधों पर कभी पतझड़ तो कभी बसंत उतरता है। आसमान में अरबो वर्ष टिमटिमाने के बाद सुपरनोवा विस्फोट में तारे ब्रह्मांड में विलीन हो जाते है। बारिश होती है, धूप निकलती है, फूल खिलते है। नफरत बढ़ती है तो साथ ही कही विस्तृत आकाश की तरह प्रेम फैलता है। चीजो को देखने - समझने का नज़रिया बदलता है समय के साथ लोगों का। बुराई बढ़ती है संसार में तो साथ में कहीं अच्छाई भी बढ़ती है।