मै कवयित्री चन्द्रकला भागीरथी सभी पाठकों को सादर प्रणाम करती हूँ। लेखन और पाठन दोनों ही कार्य मनुष्य को ज्ञान देने वाले, आत्मा को सुख पहुंचाने वाले होते हैं। मुझे लेखन कार्य की प्रेरणा व रुची प्राचीन व आधुनिक साहित्य कारो, कवियों के साहित्य को पढकर मेरे ह्रदय में जागी ये कवि हैं जैसे सूर तुलसीदास, मीरा बाई, कबीरदास और आधुनिक युग में भारतेन्दु हरिश्चंद्र, मैथली शरण गुप्त शुक्ल युग के मुंशी प्रेम चंद, छायावाद के सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन, जैसे कवियों की रचनाएं पढकर आत्मानुभूति होती थी। फिर परिस्थितियां समय, और जिन्दगी के अनुभव भी मेरे गुरु रहे। इनके थपेड़ों ने भी मुझे लिखना सिखाया कब लिखना शुरू कर दिया कब लेखन कार्य मेरी सहेली बना पता ही नहीं चला और धीरे-धीरे पंक्तियां जुड़ती गई कविता बनती गई
मेरे जीवन में मेरे माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त है ईश्वर की कृपा और आशीष हमेशा प्राप्त करती रहूंगी। मेरे जीवन साथी डाँ ०एम एस भागीरथी जी का बहुत बड़ा सहयोग है इस पढ़ने और लेखन कार्य में और मेरे बच्चों राहुल कुमार और भुवनेश्वर कुमार मेरे जीवन में बड़ा सहयोग है। मेरे सम्पर्क में आये हर प्राणी से मै कुछ न कुछ सीखती हूँ। मैं ह्रदय तल की गहराइयों से इन सभी का आभार व्यक्त करती हूँ।