सृष्टि में सभी जीव जंतु एक साथ रहते हैं। कुछ शहरों में रहते हैं तो कुछ जंगलों में रहते हैं। मानव, पशु और पक्षियों के साथ कुछ और का भी अस्तित्व है जो कभी दृश्य होते है और कभी अदृश्य हो जाते हैं। भूत प्रेत पिशाच चुड़ैल और जिन्न दृश्य और अदृश्य श्रेणी में आते हैं।
हम माने या ना माने। कुछ तो अस्तित्व है इन भूत प्रेत पिशाच चुड़ैल और जिन्न का।
हम कैसे नहीं माने जब इनका वर्णन हमारे ग्रंथों में भी है।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।।
बचपन में हनुमान चालीसा कंठस्थ करते समय अक्सर यह ख्याल आता था, भूत पिशाच कैसे होते हैं। इनका आकार, प्रकार, स्वरूप कैसा होता होगा, जिसका वर्णन आदिकाल से आज तक हम सब सुनते आ रहे हैं।
सबसे पहला भय, डर इन्हीं भूत और पिशाच से आता है। इनके नाममात्र से ही शरीर में कंपकंपी सी छूटने लगती है। हम महावीर हनुमान जी का स्मरण करके भय, डर को दूर भगाते हैं।
भूत, प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, जिन्न की कल्पना हर व्यक्ति अपने अनुभव अनुसार करता है। कुछ इनसे रूबरू होने का दावा भी करते हैं। हम माने या ना माने, कुछ तो अस्तित्व इनका भी है, जिनके नाममात्र से हमें भय लगता है और जिनका वर्णन हमारे पवित्र ग्रंथों में है।
भय, डर का हमारे मनुष्य जीवन से चोली दामन का साथ है। बचपन से बुढ़ापे तक हम अनेक